Not known Details About भूत की कहानी

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जैसे ही पहलवान ने लोहे का डंडा पेड़ पीपल के पेड़ पर मारा तो, पीपल के पेड़ से भूत नीचे उतर आए और पहलवान से लड़ाई झगड़ा करने लगे। 

एस.एस. औरंग मेडान” जो उनसे कुछ ही मिल की दूरी पर बड़े शान से तैर रहा था । एस.

मुझे लगा शायद वह दुकानदार मुझे ही खराब माँस मछली दे रहा है। इसलिए उससे जागड़ा की थी। फिर उसने पूछा था कि मैं कहाँ रहता था। मैंने अपने बिल्डिंग का नाम बताया तो पूछने लगा, " क्या आप ब्रिज से चलते माँस मछली घर ले जाते हैं?

कुछ दिनों से पहलवान रास्ते से आने जाने वाले लोगों से पूछता था की - मेरा विवाह किधर होगा ?

सोनू के पापा : क्या हुआ बेटा तुम उदास क्यूं हो ?

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  "तो फिर इन भूतों को माँस मछली पसंद होती है!!" मैंने आश्चर्य से कहा था!

अचानक, उनके सामने लंबे बालो वाली सफ़ेद साडी में एक आत्मा प्रकट हुई। यह एक प्राचीन अभिभावक की आत्मा थी जो सदियों से गुफा की रक्षा कर रही थी। आत्मा ने उन्हें बताया यह गुफा श्रापित है, और कुत्ता उसी श्राप का शिकार था।

. और बकरी के जाते ही हुए के अंदर से वह भूत बाहर आकर बकरी को लेकर वापस कुए के अंदर चला जाता है…

यह बात सुनकर वह फिर शौचालय के तरफ हैरानी से देखकर फिर ज़ोर से डर के मारे चिल्लाने लगा। उससे भी तेज बुखार हो गयी थी। उसने कहा कि सचमे उसने दादी को शौचालय के तरफ तेज़ चलते हुवे देखा और वह गिरनेवाली थीं। लेकिन उसने पकड़ना चाहा तो वह काट से उठ नहीं पाया और हमारे आने के बाद उस तरफ मुड़ा तो दादी गायब हो गयी थी। राजेश को उस पल याद न आया कि दादी के गुज़रे एक महीना हो चुका था। आत्माएं मृत्यु के पश्चात काफी समय तक अपनी जगह अपने घर मे रहते हैं और अपनी रोज़ के काम में जुटे रहते हैं।

राजू ने सच्ची खुशी का मतलब समझा और खिलौने की महत्वपूर्णता को समझा। वह अब खिलौने के साथ हर क्षण को आनंदित करता था, क्योंकि वह समझ गया था कि वास्तविक खुशी विभिन्न रूपों में मौजूद हो सकती है, और इसे हमें स्वीकार करना चाहिए।

. और इस तरग गाँव वाले झूटे भुत के डर से मुक्ति पा चुके थे

ऐसे ही, एक दिन की बात है जब हम सभी खाना खाकर रात में बालकनी में बैठे बातें कर रहे थे click here कि तभी मेरी मौसी का लड़का हमसे कहने लगा कि किसी में इतनी हिम्मत है कि वो रात के इस समय में इस जंगल के अंदर जाये।

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